दलीप टिर्की के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाले भारत के दूसरे खिलाड़ी बने
एंटवर्प, 15 जून 2025:
एंटवर्प में विलरिजके प्लीन के स्टैंड के पीछे जैसे ही सूरज डूबा और भारतीय राष्ट्रगान एक बार फिर बजा, वहां एक जानी-पहचानी शख्सियत खड़ी थी- संतुलित, शांत, उद्देश्य से भरी आंखों वाली। 400वीं बार हॉकी मैच में मनप्रीत सिंह भारत की जर्सी पहनकर मैदान में उतरे और अपना नाम उन दिग्गजों की सूची में शामिल कर लिया, जिन्होंने अटूट निरंतरता और दिल से विश्व मंच पर अपनी छाप छोड़ी है
उस पल, मनप्रीत सिर्फ़ एक खिलाड़ी नहीं थे
जो एफआईएच हॉकी प्रो लीग 2024/25 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ मैदान में उतरे थे- वे दिग्गज, नेतृत्व और एक ऐसे युग के प्रतीक हैं, जिसने भारतीय हॉकी को वैश्विक स्तर पर फिर से स्थापित किया है। भारतीय हॉकी के इतिहास में पंजाब के 33 वर्षीय मिडफील्डर अब पूर्व कप्तान और वर्तमान हॉकी इंडिया के अध्यक्ष डॉ. दिलीप टिर्की (412 कैप) से पीछे, अब तक के दूसरे सबसे ज्यादा मैच खेलने वाले भारतीय पुरुष खिलाड़ी बन गए हैं।
यह अलग बात है कि इस ऐतिहासिक मैच को टीम इंडिया यादगार नहीं बना पाई, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के हाथों उसे 2-3 से हार का सामना करना पड़ा। वैसे मनप्रीत ने 400 मैचों के लिए 66 प्रतियोगिताएं खेली हैं और इसमें 44 गोल दागे हैं।
मनप्रीत की कहानी और भी दिलचस्प इसलिए है क्योंकि यह अभी खत्म नहीं हुई है। 2011 में 19 वर्षीय जोशीले खिलाड़ी के रूप में अपने पदार्पण से लेकर भारतीय मिडफील्ड की धड़कन बनने तक, मनप्रीत का करियर भारतीय हॉकी के पुनरुत्थान को दर्शाता है।
वे 4 एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी खिताब (2013, 2018, 2023, 2024), 2 एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक (2014, 2023), 2 ओलंपिक कांस्य पदक (2020, 2024), 2 राष्ट्रमंडल खेलों के रजत पदक (2014, 2022) जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे हैं
2014-15 और 2016-17 एफआईएच वर्ल्ड लीग और 2018 में हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी में पोडियम स्थान हासिल किया। मैदान पर मनप्रीत की निरंतरता के साथ-साथ मैदान के बाहर भी उनकी पहचान बनी हुई है।
उनकी पउपलब्धि भारतीय खेलों में उनके अपार योगदान को रेखांकित करती है। अर्जुन पुरस्कार – 2018, FIH पुरुष खिलाड़ी वर्ष – 2019, मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार – 2021, हॉकी इंडिया बलबीर सिंह सीनियर खिलाड़ी वर्ष – 2019, हॉकी इंडिया अजीत पाल सिंह मिडफील्डर ऑफ द ईयर पुरस्कार – 2014, 2021 उनके नाम दर्ज हैं। मनप्रीत के लिए, यह केवल पदकों और उपलब्धियों के बारे में नहीं था, बल्कि यह हर एक खेल और हर प्रशिक्षण सत्र में उसी जोश के साथ प्रदर्शन करने के बारे में था, जैसा कि उन्होंने पहली बार जालंधर के मीठापुर के धूल भरे मैदानों में स्टिक उठाते समय महसूस किया था।

इस उपलब्धि पर भावुक मनप्रीत ने कहा, मुझे अभी भी याद है कि अपने डेब्यू मैच में मुझे कैसा महसूस हुआ था। 400 मैच बाद यहां खड़े होना मेरी कल्पना से परे है। यह उपलब्धि हर उस कोच के साथ है जिसने मुझे आगे बढ़ाया, हर उस साथी खिलाड़ी के साथ जिसने मेरा साथ दिया और हर उस प्रशंसक के साथ जिसने मुझ पर तब विश्वास किया जब मुझे इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी। मैं अभी भी सीख रहा हूं, अभी भी आगे बढ़ रहा हूं – और मैं आज भी उसी जोश के साथ खेलता हूं जैसा कि 19 साल की उम्र में करता था।
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष और ऑल-टाइम कैप्स सूची में मनप्रीत से आगे एकमात्र भारतीय खिलाड़ी डॉ. दिलीप टिर्की ने इस उपलब्धि की सराहना की और कहा, बहुत कम एथलीट इस स्तर की स्थिरता और धीरज हासिल कर पाते हैं। मनप्रीत अपने सबसे परिवर्तनकारी दशक में भारतीय हॉकी की रीढ़ रहे हैं। उनकी फिटनेस, नेतृत्व और दबाव में संयम उन्हें सबसे अलग बनाता है। हमें उन्हें इस विरासत को इतनी शालीनता से आगे बढ़ाते हुए देखकर गर्व होता है।

हॉकी इंडिया के महासचिव श्री भोला नाथ सिंह ने कहा, “400 कैप सिर्फ़ एक संख्या नहीं है – यह त्याग, अनुशासन और खेल के प्रति समर्पण पर आधारित विरासत है। मनप्रीत ने भारत की जर्सी पहनने में पेशेवरता और गर्व का मानक स्थापित किया है। वह भारतीय हॉकी के सच्चे राजदूत और पीढ़ी के लिए आदर्श हैं।